किन्नर से प्यार भाग - 23
कहानी _ **किन्नर का प्यार **
भाग _ 23
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
राहुल ने सुनंदा के करीब जाकर अपने पीछे छिपाए गुलदस्ते को उसकी तरफ बढ़ाते हुएy कहा _ बधाई हो सुनंदा ,तुम्हारी डिग्री और नई नौकरी के लिए ।
सुनंदा ने अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया और कुछ नही कहा ।
प्रवेश को राहुल की हरकत पसंद नही आई उसने उसे डांटते हुए कहा _ यह क्या बदतमीजी है ।तुम कौन हो ।
मैं इसका सबसे प्यारा दोस्त हूं लेकिन तुमy कौन हो ।राहुल ने पूछा।
मैं सुनंदा का होनेवाला पति हूं ।तुम जो भी जल्दी जाओ यहां से ।अगर तुम उसके दोस्त होते तो ये तुमसे मुंह नही मोड़ती ।प्रवेश ने गुस्सा करते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर राहुल को बड़ा आश्चर्य हुआ।उसने सवालिया निगाह से सुनंदा की तरफ देखा लेकिन उसने अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा रखा था।
मैं नही मानता तुम इसके होने वाले पति हो ।इसलिए तुम भी जो हो जाओ यहां से मुझे इससे बात करनी है।राहुल ने कहा ।
मुझे जाने को कह रहे हो ।एक तो बिना बुलाए मेहमान की तरह दाल भात में मुसलचंद बन रहे हो और मुझे बोल रहे हो ।तुम जाते हो की नही।प्रवेश ने गुस्सा में कहा।
तुम बेकार में गुस्सा कर रहे हो ।तुम इसी से पूछ क्यों नही लेते मैं कौन हूं इसका ।राहुल ने शांति से कहा ।
अगर तुम इसके कुछ लगते तो तुम्हारे आते ही तुमसे मुंह नही मोड़ लेती ।अब जाओh वरना मैं मै तुम्हारा मुंह तोड़कर बत्तीसी हाथ में रख दूंगा ।तुम अभी मुझे जानते नही हो ।इतना कहकर प्रवेश ने राहुल का कॉलर पकड़ लिया । राहुल ने कहा _ तोड़ तो मैं भी सकता हूं लेकिन पहले सुनंदा से पूछ तो लो।
दोनो में हाथापाई होते देख सुनंदा जल्दी से उठ खड़ी हुई और प्रवेश का हाथ पकड़कर बोली _ चलो यहां से प्रवेश गैरो के बीच में बात करना ठीक नहीं है।
प्रवेश ने उसका कॉलर छोड़ते हुए कहा_ देखा तुम इसके कुछ नही लगते और आ गए गुलदस्ता लेकर बदतमीज कही का ।
वे दोनो जाने लगे तो राहुल को बहुत झटका लगा ।उसने कई बार सुनंदा को आवाज दिया लेकिन वो न रुकी न देखी।चुपचाप प्रवेश का हाथ पकड़कर वहा से चली गई।।मगर अपनी आंखो में आए आंसू वो रोक नही सकी ।प्रवेश देख न ले इसलिए अपने आंचल से तुरंत पोंछ किया।
राहुल दुखी मन से अपने हाथो में गुलदस्ता लिए उसे जाता देखता रहा।प्यार भी अजीब है जब पास होता है कोई उसकी कद्र नहीं करता है।और जब दूर जाता है वो उसी को सबसे ज्यादा चाहता है।
सुनंदा के प्यार के चलते ही उसने अपना अपमान बर्दाश्त कर लिया । वर्ना किसी की मजाल थी जो एक एस डी एम का कॉलर पकड़ ले ।
उसने दुखी मन से गुलदस्ता वही घास पर रख कर वहा से उदास होकर चला गया।
चाहे जो भी वो सुनंदा को मना कर ही मानेगा ।उससे अपनी गलतियों के लिए माफी मांग लेगा ।लेकिन वो उसे नही छोड़ सकता ।अपनी मां और पापा को किसी भी तरह मना लेगा।
यही सोचते हुए वो लौट आया।
अपनी बाइक पर बैठाते हुए प्रवेश ने सुनंदा से पूछा क्या तुम उसे जानती थी ।तुमने उससे बात क्यों नही की ।अगर तुम उसे जानती नही थी तो वो तुम्हारे लिए गुलदस्ताy लेकर क्यों आया था।
ये वही राहुल है जिसे मैं प्यार करती हूं
सुनंदा ने उदास स्वर में कहा।
क्या ये वही लड़का है ।फिर तुमने बताया क्यों नही ।मैंने बेकार में उसे उल्टा सीधा बोल दिया और उसका कॉलर पकड़ लिया।
प्रवेश ने आश्चर्य से पूछा ।
सुनंदा ने उसे विस्तार से सब कहानी सुनाने के बाद बोली इसलिए मैं उससे बात नही कर रही हूं ।
ओह अच्छा अब समझा लेकिन लगता है उसे अपनी गलती का एहसास हो गया है।मेरे ख्याल से तुम्हे उसे माफ कर देना चाहिए ।
मेरा दिल जला हुआ है अभी ।इतना जल्दी माफ नही कर पाऊंगी।
उसने मेरे साथ मेरी सहेली और उसकी मां ने मेरी मां का दिल दुखाया है।बोलो मैं कैसे उसे माफ कर दूं ।लेकिन फिर भी दिल उसी को चाहता है।सुनंदा की बोलते हुए फिर आंखे नम हो गई थी ।
घर पर सुनंदा ने राखी को बुलाकर प्रवेश से हुई बातचीत के बारे में बताया और कहा _ तू मेरी सबसे प्यारी सहेली है ।मेरी बात मान ले ।तुम प्रवेश से विवाह के लिए हां कह दे।
उसकी बात सुनकर राखी और उसके माता पिता को बड़ा आश्चर्य हवा।
इतने दिन से फिर चुप क्यों थी तुम उसकी मां ने कहा ।
मैं अब तक राखी के बारे में ही सोच रही थी मां ।इसने जितना मेरे लिए किया है अब मेरी बारी है मैं भी कुछ करूं ।प्रवेश इसके लिए बहुत अच्छा लडका रहेगा ।y
लेकिन वो तुम्हे प्यार करता है सखी ।राखी ने कहा ।मुझे पता है लेकिन अब तुम अपने चाचा को उसके घर भेजो अपने रिश्ते की बात करने के लिए बाकी मैं देख लूंगी ।
आखिर कार सबके मान मनौवल के बाद राखी और प्रवेश का विवाह तय हो गया ।दोनो का विवाह बड़े धूमधाम से संपन्न हो गया ।सुनंदा के दिल को बड़ी राहत मिली।h
पुष्पा किन्नर का केस कोर्ट में चलता रहा ।कई तारीखे पड़ी ।कई गवाहियां गुजरी।आज उसका अंतिम फैसला होना था ।गवाह के रूप में पुष्पा का एक दलाल भी था जो उसके लिए ग्राहकों का कमीशन पर इंतजाम करता था।
सुनंदा की तरफ से वकील के रूप में बोलते हुए कहा है मान्यानिय न्यायधीश महोदय हमारे समाज में किन्नरों का सम्मान पुरातन काल से दिया जा रहा है। जैसा कि आपको मालूम है पिछले केस में मैने बताया था कि अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस समुदाय को थर्ड जेंडर की मान्यता देते हुए समानता का अधिकार दे दीया है।
मैं किन्नर समाज में बारे में रामायण और महाभारत के कुछ प्रसंग सुनाना चाहता हूंh।पहला रामायण से बडा मार्मिक प्रसंग है ।जब भगवान श्री राम अपनी पत्नी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपनी माता कैकई के मांग के अनुसार अपने पिता दशरथ के आदेश का पालन करने हेतु चौदह वर्ष के लिए वनवास जा रहे थे तब वे चित्रकूट में रुके थे ।उनको मनाने के लिए समस्त अयोध्यावासियों के साथ भाईh भरत,शत्रुघ्न और माता कैकई चित्रकूट पहुंचे थे । वहा माता कैकई और उनके दोनो भाईयो ने उनको मनाने की बहुत कोशिश किए लेकिन भगवान श्री राम ने अपनी पिता की आज्ञा का पालन करने की जिद पर अड़े रहे।अपनी माता कैकई को भी बहुत समझाया और कहा_ मां आप खुद को लज्जित और अपराधी मत समझो मुझेy आपसे कोई नाराजगी नही है। अंत में श्रीराम ने कहा सभी पुरुष और महिलाएं अयोध्या वापस लौट जाए मैं चौदह वर्ष के बाद वनवास काटकर फिर इसी रास्ते से अयोध्या आऊंगा ।
माता कैकई के साथ भाई भरत और शत्रुघ्न के साथ सभी स्त्री और पुरुष वापस अयोध्या लौट गए ।लेकिन काफी संख्या में किन्नर समाज चित्रकूट में ही रुका रह गया ।उन्हे लगा प्रभु श्री राम ने तो उन्हें कुछ कहा ही नहीं ।केवल सभी स्त्रियों और पुरुषों को जाने कहा ।हम किन्नरों के बारे में तो कुछ कहा ही नहीं ।इसलिए वे लोग वही चित्रकूट में भगवान श्रीराम का चौदह वर्ष तक वापस आने का इंतजार करते रहे ।
जब अपना वनवास काटकर प्रभु श्रीराम वापस अयोध्या के किए चित्रकूट पहुंचे वहा किन्नरों को अपना इंतजार करते पाकर बहुत चकित हुए ।उन्होंने उनसे पूछा_ आप लोग अयोध्या क्यों नहीं लौटे ,चौदह साल से आप लोग यही है ।
किन्नरों ने हाथ जोड़कर प्रभु को प्रणाम कर कहा _ हे दशरथ नंदन, अयोध्या पति, पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम आपने केवल अयोध्या के सभी स्त्रियों और पुरुषों को वापस लौटने को कहा था ।लेकिन हम किन्नरों को कोई आदेश नहीं दिया था।इसलिए हमलोग समझे आप हमे यही रुकने की इक्षा रखते थे ।
उनको बाते सुनकर और उनकी श्रद्धा भक्ति देखकर भगवान श्री राम बहुत मर्माहत और प्रभावित हुए और उन्होंने सभी किन्नरों को आशीर्वाद देते हुए कहा _ आज के बाद तुम लोग जिसको भी दिल से आशीर्वाद दोगे या बददुआ दोगे दोनो फलित होगा ।
इसलिए जज साहब हर मांगलिक कार्यों में लोग किन्नरों को खुद आशीर्वाद लेने के लिए बुलाते है और अपनी शक्ति अनुसार नेग देते है। जिससे इनका गुजारा होता है।
पांडेय जी का प्रसंग सुनकर कोर्ट में सभी तालियां बजाने लगे ।सभी वाह वाह करनेh लगे।
जज साहब सबको शांत रहने के लिए कहा ।
पांडेय जी ने आगे महाभारत का प्रसंग सुनाते हुए कहा_ गंगा पुत्र भीष्म पितामह जब महाभारत में कौरवों की सेना की सेना की तरफ से पांडवो के खिलाफ खड़े हुए थे ।उन्हे कक्षा मृत्यु का वरदान प्राप्त था ।लेकिन सिखंडी नाम का किन्नर गांडीव धारी अर्जुन का सारथी बनकर युद्ध के मैदान में आया ।भीष्म पितामह चूंकि अधर्म का साथ दे रहे थे ।इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का कवच बनाकर सिखांडी को भेजा जी न तो स्त्री था न पुरुष । भीष्म उसपर बाण नही चलाने सके ।तब श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने अपने पितामह को अपने बानो से छलनी छलनी कर दिया।उनके घायल होकर गिरते ही पूरी कौरव सेना में मायूसी छा गई ।क्योंकि एक भीष्म पितामह ही थे जो अकेले ही पुरे पांडव सेना को परास्त करने की क्षमता रखते थे।
इससे पहले जज साहब जब जुआ ने हारने के बाद पांचों पांडवों को अज्ञात वास की सजा मिली थी तब अर्जुन ब्रिंघला नामक किन्नर के रूप में एक राजा के यहां बनकर छिपे थे ।
इस तरह देखा जाए तो किन्नरों का हमारे समाज से पुराना रिश्ता है और जरूरत पड़ने पर हमारा साथ ही दीया है।
लेकिन पुष्पा किन्नर ने अपनी सारी मान मर्यादा भुलाकर एक लड़की सुनंदा का अपहरण किया ,उसे प्रताड़ित किया,उसके मान सम्मान को ठेस पहुंचाया और उसे वैश्या वृति के लिए जोर जबरजस्ति किया।
इतना ही नही कुछ मामूली शारीरिक कमजोरी होने बाद भी सुनंदा को किन्नर बनने के लिए जोर जुल्म ढाया,उसे मरा पीटा।जबकि डॉक्टर की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार सुनंदा का इलाज संभव है ।उन्होंने उसकी मेडिकल रिपोर्ट पेसकार में हाथो देते हुए कहा यह सुनंदा की मेडिकल रिपोर्ट है ।
मैं कोर्ट से दरख्वास्त करता हूं की ऐसे अपराधी किन्नर पुष्पा और उसके सभी साथियों को कड़ी से कड़ी सजा दे।
उनकी बहस खत्म होते ही एक बार फिर कोर्ट तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
पुष्पा के बचाव पक्ष के वकील के पास पांडेय जी के तर्कों को काट करने का कोई तर्क ही नहीं सूझा वे चुप रह गए।
जज साहब ने कहा _ सारे सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर यह प्रतीत होता है पुष्पा किन्नर के ऊपर लगाए गए सभी मामले सत्य है ।इसलिए पुष्पा और उसके साथियों को अपहरण,मारपीट, वैश्या वृति कराने का प्रयास ,मान हानि और सामान्य लोगो को जोर जबरजस्ति से किन्नर बनाने हेतु सात साल की सजा सुनाई जाती है ।और साथ में हर्जाना के रूप में सुनंदा को पन्द्रह लाख रुपए मुआयजा देने का हुक्म देती है।रुपए नही देने की हालत में सात साल की सजा और बढ़ा दी जायेगी ।
कोर्ट के फैसले से सब लोग बहुत खुश हुए ।
बबिता किन्नर ने कहा _ जैसे को तैसा हुआ ।मैंने उसे बहुत समझाया था ज्यादा अति मत करो ।भगवान सब देखता है ।
उसने पाण्डेय जी को धन्यवाद देते हुए कहा _ वकील साहब आपने तो आज अपने बहस में हम किन्नरों के बारे में बोलकर हमारा मान बढ़ा दिया है।आज सारा कोर्ट जान गया हमारा पौराणिक महत्व।कल अखबार के माध्यम से सारा समाज जान जायेगा ।
एक दिन लाल बत्ती की गाड़ी उसके दरवाजे पर रुकी ।सब लोग सरकारी गाड़ी देखकरy आश्चर्य से देखने लगे।
दो दो बॉडी गार्ड के साथ एक अरदली के साथ उसमे से राहुल उतरा । उस गाड़ी के सामने एसडीएम लिखा हुआ था।
आगे बढ़कर उसने सुनंदा का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा उसकी मां ने खोला ।राहुल को देखते ही उसने नाराजगी से मुंह फेर लिया।मतलबी लड़का है।उसने मन में सोचा ।फिर पूछा क्या काम है।
मुझे वकील सुनंदा से मिलना है।
राहुल ने कहा ।
अभी वो नहा रही है ।उसे अपने ऑफिस जाने में देर हो रही है।
ममता देवी ने कहा ।y
ठीक है मैं इंतजार कर लूंगा ।ठीक है अंदर आओ।
राहुल जैसे ही अंदर आया उसने ममता देवी और सुनंदा के पिता का पाव छूकर प्रणाम किया ।दोनो का बडा आश्चर्य हुआ ।
ममता देवी ने अपनी बेटी को बाथरूम के पास जाकर कहा _ राहुल आया है बोल रहा है मुझे वकील सुनंदा से मिलना है।
उसे बोल दो मां मुझे नही मिलना है।उसने अंदर से कहा ।
अपनी सरकारी गाड़ी से आया है बेटी जरूर कोई सरकारी काम होगा।तुम सब कुछ भुलाकर उससे मिल लो ।
ठीक है मां ।
थोड़ी देर में सुनंदा तैयार हो कर आई ।उसकी मां तब तक राहुल को चाय पानी दे चुकी थी ।
सुनंदा के आते ही वो उसे देखता रह गया।उसके लंबे काल बाल अभी भी भींगे हुए थे ।जिससे पानी रिसता हुआ उसके पीठ और कंधो को भिंगता हुआ वह रहा था।इस हाल मे वो बहुत ही सुंदर लग रही थी ।
राहुल बिना पलक झपकाए उसे देखता रह गया ।
उसे ऐसे देखते हुए सुनंदा को बहुत अच्छा लगा लेकिन खुद को संभालते हुए कहा _ बोलो क्यों वकील सुनंदा से मिलना चाहते थे ।
उसकी मधुर आवाज सुनकर उसे होश आया और बोला _ बैठो बताता हूं ।वो उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ गई।उसने अपनी मां से एक तौलिया मांगा और अपने भींगे बालों में लपेट दिया।
दरअसल मेरी जहा अभी पोस्टिंग हुई है वहा की एक सैकड़ों एकड़ जमीन के प्लॉट को एक अपराधी किस्म का उद्योग पति ने हड़प लिया है ।उसपर अपना कारखाना लगा रहाथा है।उसने कही से जाली जमीन का रजिस्ट्री पेपर और रसीद बना लिया है।
उसे रोकने पर अपने सैकड़ों बंदूकधारी गार्डों को आगे कर देता है ।
सरकार का कहना है उस जमीन को मुझे हर हाल में खाली कराकर सरकार को सौंपना है ताकि वहा जनकल्याण कारी योजना शुरू की जा सके ।
मेरे लिए यह बहुत बड़ी चुनौती है ।
तुम जिस लॉ फार्म मे वकील हो उसी को यह केस मिला है।
मैं चाहता हूं तुम इस केस को लड़ो और किसी तरह इस केस को जीतो।मेरी पहली पोस्टिंग का यह बहुत बडा चेलेंजिग केस है ।
इसके बदले में तुम्हारी कंपनी को उस जमीन जिसकी कीमत करोड़ों में है का पन्द्रह प्रतिसत मिलेगा ।लेकिन मैं उसमे बदलाव करके पांच प्रतिशत तुम्हे दीलवाऊंगा।
प्लीज तुम इंकार मत करो।
सुनंदा ने कहा एक मुवकिल के रूप में मैं तुम्हारा यह केस जरूर लडूंगी और अपनी कंपनी से भी बात कर लूंगी ।
लेकिन इससे पहले तुम उस उद्योग पति को एक नोटिस देकर एक तय सीमा में जमीन खाली करने का आदेश दो।
अगर वे लोग जमीन खाली नही करे तो तुम अपने सभी वरिष्ठ अधिकारीयो से गोली चलाने की सहमति ले लो विषम परिस्थितियों में।
ये तुम क्या कह रही हो मैं गोली क्यों चलवाऊंगा।
मेरी बात पूरी होने दो ।
जिस दिन आखिरी तय तिथि aa जाए तुम दो चार थाना की पुलिस पूरे हथियार सहित लेकर वहा पहुंचो।फिर एक दो घंटे का समय दो ।
इसके बाद भी अगर वो खाली नही करे और अपने हथियार बंद लोगों को आगे कर दे तो तुम बेधड़क अपने सिपाहियों को गोली चलाने का आदेश दे देना ।
तुम चिंता मत करना बाकी मैं देख लूंगी ।
इतना ही नही वहा तुरंत सरकारी बोर्ड लगा कर तुंरत उस जमीन को अपने कब्जे में ले लेना ।उसकी सुरक्षा का कड़ा प्रबंध कर देना ।
केस जितने की चिंता मत करो।
तुम उस केस से जुड़े सभी कागजात और जमीन का पेपर मुझे दे दो ।
सुनंदा की सलाह सुनकर राहुल चिंता में पड़ गया ।
उसने पांच लाख का चेक देते हुए उससे कहा _ यह एडवांस है रख लो।बाकी एग्रीमेंट भी होगा । बकाया राशि केस जितने के बाद मिलेगा।
लेकिन मैं गोली नही चलवा पाऊंगा।उसनेh चिंतित होकर कहा ।
अगर तुम्हे इतना ही डर लग रहा है तो उस दिन तुम मुझे भी साथ ले लेना।
सुनंदा ने कहा ।
उसकी बात सुनकर वो बहुत खुश हुआ हा ये ठीक रहेगा उस दिन तुम भी साथ चलना।
फिर वो उस केस की फ़ाइल सुनंदा को देकर चला गया।
शेष अगले भाग _ 24 में
लेखक _, श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड, मो.९९५५५०९२८६
Mohammed urooj khan
04-Nov-2023 12:49 PM
👍👍👍
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